________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ज्ञानने निंदो ज्ञानी न निंदो, आधार कलि श्रुत भारी. महावीर० ७ श्रुतज्ञानथी ध्यानने केवल, चारित्र श्रुत उपयोगेरे; श्रुतउपयोगे धर्म प्रवर्ते; श्रुतथी रहो सुखभोगे. महावीर०८ श्रुतज्ञानी केवलोसम संप्रति, सुणीए श्रुत हितकारीजी; बुद्धिसागर श्रुतज्ञानी श्रुत-, सेवो नरने नारी.
महावीर० ९ ॐ नमो ज्ञानाय लोकालोक प्रकाशकाय मति श्रुतावधि मनः पर्यव केवलज्ञानाय जलं या स्वाहा ॥
॥ तृतीया अवधिज्ञानपूजा ॥ मतिश्रुतज्ञान परोक्ष बे, प्रत्यक्ष अवधिज्ञान; रूपोद्रव्यने जाणवू, अवधिलक्षग जाग. १ भवप्रत्ययो गुणप्रत्ययो, अवधि दोय प्रकार; जवप्रत्ययो सुर नारको, नरतिरि गुणथी मान. २ अवधि असंख्य प्रकार छ, षड्भेद शास्त्र प्रमाण; मिथ्यात्वीने विभंग छे, समकीतीने ज्ञान. ३
For Private And Personal Use Only