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ढाल बीजी. (प्रभु पडिमा पूजीने पोसह करीएरे. ए राग.) वोर जिनेश्वर वंदु जग उपकारोरे, त्रीशवरस घरमांहि वासो वस्या; बारवर्ष छद्मस्थदशा अनगारीरे, बेतालीश वर्ष सयोगी प्रभुदशा. त्हारे शरण कर्यु शिव आपशो, व्हालारे वेगे दुःखडां कापशो, परमातमपदमां मुजने थापशो, उपयोगे मुज दिलमांहि व्यापशो. श्रेणिक आदि नवने जिनपद थाप्युरे, ताारे मेघ कुमारआदिजना; अर्जुन रोहणियोने चन्दनबालारे, कौशिकने तार्योरे राखी नहि मणा. त्हालं० २ अस्थिक प्रणितभूमि सावत्थी नगरीरे, बालभिका चोमासु एकेक रह्या; त्रण चंपा, षट् मिथिला, बार वैशालीरे, वाणिज्य राजराहीमा घउदे शुभ वह्या. हालं०३
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