________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दोढलाखने सहसनव, श्रावक व्रतगुण धार; तिलख अढारसहस मली,-श्राविका व्रतपाल. २ चौदपूरवी त्रणसेंमुनि, तेरसे अवधि जाण; सातसे केवली सातसे-, वैक्रियधारी मान. ३ पांचसे विपुलमति मुनि, वादी चउशत सार; राजा आदि कोटिजनो-, समकिती परिवार. ४ चोत्रीश अतिशयवंत जिन, वाणी गुण पांत्रीश; सर्वदेश विचरे प्रभु, टाळे रागने रीस.
(दशमे देशावगासिकेरे. ए राग.) गाम नगर पुर विचरियारे-, देशविदेश विहार; नरनारी प्रतिबोधियारे-, टाळ्यो जग अन्धकार हो जिनजी-, महावीर प्रभुजी तारशोरे, मुज आतम उद्धारशोरे, तारशो दीनदयाल.१ हिंसायज्ञ निवारियारे, सात व्यसन कर्या दूरः मिथ्यातम दूरे कर्युरे-, प्रगटाव्युं ब्रह्मनूर हो जिनजो; महावोरण २
For Private And Personal Use Only