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सर्व सावध संहारीरे--, प्रभु दर्शन देशो.
हेलां व्हेलां दर्शन देशोरे. प्रभु दर्शन १ बंधुवर्गने पुछे त्यारे-, वनमां विचरोश निरहंकारे; ध्यानसमाधिविचारेरे.
प्रभु दर्शन २ नंदि कहे प्रभु शातामा रहेशो; समरीने संदेशा कहेशो; केवलज्ञानने लहेशोरे. प्रभु व्हेलां०३ क्षण एक नाइ न अळगा थश्या, पल पल वीर वीर मुख कहिया, हवे अळगा हमे रहियारे. प्रभु दर्शन॥ ४ नयणे वहे छे अश्रुनी धारा; स्मरशो मळशो बन्धु हमारा; तव वण घर शून्य, प्यारारे. प्रभु दर्शन०॥ ५ देवी यशोदा बोले विचारी, जग उद्धरशो केवल धारी; क्षण क्षण रहुं संभारीरे. प्रभु दर्शन॥ ६ एक तमारो छे आधारो, प्राणपति मुज आतम प्यारो
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