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श्रीमहावीरपरमेश्वरपंचकल्याणक
पूजापरमेश्वर परमातमा, वर्धमान जिनराज; प्रभु महावीर पूजतां, प्रगटे प्रभुसाम्राज्य. १ प्रभुना गुणने गावतां, आतमगुण प्रगटाय; आतम ते परमातमा, सिद्धबुद्ध जिन थाय. च्यवन जन्म दीक्षा अने, चो) केवलज्ञान; निर्वाण पांच ए जाणवां, कल्याणक गुणखाण,. ३ प्रभुमहावीरदेवनां, पांच भला कल्याण; कल्याणकपूजा करे, आप बने भगवान्. कल्याणकभक्तिबळे,-निज प्रगटे कल्याण; कल्याणकना महोत्सवे-आतमशुद्धि प्रमाण. ५ अष्टप्रकारी पूजना, प्रत्येक पूजा दीठ; कल्याणकनक्तिवडे, नासे सघळा रिष्ट, प्रभुगुणपूजायोगथी, निजगुण प्रगटे खास; सेवानक्ति प्रतापथी-ज्ञानानन्दविलास.
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