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समवसरणमां महावीरदेवे-, धर्म कथ्यो सुखकार; बुद्धिसागर पूजो वंदो, अरिहंतने नरनार
कलश.
(आशावरी.)
( अवसर बेर बेर नहीं आवे, ए राग. )
भावना पूजाए गायामहावीर भावना पूजाए गाया ॥ बारजावना भावतां यातम
आनन्दगुणने पाया; गामगोधावी जावनापूजा,
"
रचतां मोह हठाया. संवत् ओगणिश अग्न्याऐंशी-,
विहार करतां श्राया; माघवदितेरसजौमवारे,
पूजा रची प्रभु गाया. वीरजिनेश्वर मन्दिर मोडं-, वीरप्रभुने ध्याया;
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सर्वे 3
महावीर० १
महावीर० २