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जतां रस्तामां गामोमां नवकारशी वगेरे करवामां आवती हती. तेथी शाशननी सारी उन्नति थइ हती. सं. १९४८ नी सालमां साध्वीजी महाराजनो उपाश्रय घणोज जीर्ण थवाथी, श्रीमद् रविसागरजी महाराजना उपदेशथी मर्हमे उपाश्रय नवीन बंधावानुं कार्य उपाडी लीधुं हतु; अने तेमां रु. १७०००) नी रकम खर्चाइ हती, जेमा मर्हमे रु. ८०००) आप्या इता. बाकीना रु. १००००) नी मदद मेहसाणाना संघे आपी हती. सं १९५२ सालमां परमपूज्य महायोगी श्रीमद् रविसागरजी महाराजजीए शेठ घेलामाइने जणाव्युं हतुं केसाध्वीजी महाराजनो उपाश्रय जेटलो शुशोभित थयो छे तेना करतां साधु महाराजनो उपाश्रय घणो सारो बंधाय एम थाय तो धर्मनी वृद्धि छे. कारण के मेहसाणा जेवू क्षेत्र मध्यमां छे अने साधु महा.. राजने उतरवानी घणी मुश्केली पडे छे. मर्तुमने उपदेशनी एटली बधी असर थइ के तेमणे तरतज महाराजश्री आगळ अभिग्रह कयों के जो बे वरसमां माराथी उपाश्रय ना बंधावी शकाय तो मारे वीगई त्याग. आवी सचोट लागणीथी श्रीमद् रविसागरजी महाराजश्रीनी कृपा दृष्टि थइ अने तेमनी कृपाथी मुंबाइ जइ रु २७०००) नी टीप, टुंक समयमां थतांनी साथे काम आरंभ्युं, काम पूर्ण थतां कुल्ले रु. ३५०००) थया ते मध्ये बाकीना रु. ७००० पोताना ऊमेरी काम पूर्ण कर्यु. हाल पण मेहसाणामां साधुमहाराज तथा साध्वी महाराजनो उपाश्रय वखाणवा लायक छे, अने मेहसाणामां पण एम कहेवाय छे के श्रीमद् रविसागरजी महाराज तथा घेलामाइ होय तोज आ उपाश्रय बंधाय.
मर्हम शेठ घेलामाई जैनसुधाराखाताना पहेला नंबरना ट्रस्टी हता अने तेपनाथी देरासर वगेरेनो घणो सुधारो थयो हतो. श्रीमद् रविसागरजी महाराजना सदुपदेशी देवद्रव्य विगेरेमा आगळ घणा गोटाळा हता ते दूर थया हता. मर्दुमने मौनअगीयारसनुं
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