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| ৩৩ चेतन !!! चेती झटपट, आतमने उद्धारशोरे. जगमां-॥ इन्द्र चक्री सुरनर जे बळीया,मृत्यु आगळ थे गया गळीया; उगरिया कोइ न-, अमर रह्या नहि नजरे भाळशोरे. जगमां० १ मृत्युघटीमा जीवो दळाता-, कोटिउपाये न को बची जाता; जन्म्या तेने मरवं, निश्चय ए निर्धारशोरे.
जगमांग २ मंत्रतंत्र औषधिने योगे-, मरणथकी बचशो नहि भोगे; सिंहे ग्रहीबकरीवत्, बेंबे करतां चालशोरे.
जगमां०३ मातपिता सुतदारा न रक्षे-, काल जगत्मां सहुने भक्षे; माटे चेती चालो, मोहे आयु न हारशोरे. जगमां०४ आतमवडे आतमने तारो,आपोआपने झट उद्धारो;
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