________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एकेन्द्रीआदि जन्मोमा, लोभथको लुटायो हो राज!!! महावोर० ॥३॥ परिग्रहपरिमाणवतने धारूं, पंच अतिचार वारं; धन धान्य क्षेत्र वास्तु परिग्रह, बे अतिचार निवारूं हो राज!!! महावीर--॥४॥ रुप्य सुवर्ण कुप्य परिमाण, द्विपदादिकवत धारूं; उपयोगे अतिचार निवारं, आतमधन गणुं प्यारं हो राज !!! महावीर०-५ नवविधपरिग्रह साथे न आवे, आतम एकलो जावे; जडमां सुख दुःख कल्पना जूठी, ज्ञानी निश्चय पावे हो राज!!! महावीर० -६ ज्ञानानन्द बातमधन जाणी, तुज शरणे प्रभु श्राव्यो; बुद्धिसागर प्रभुमहावीर, तुज चरणे चित्त लाव्यो हो राज!!!महावीर-७
ॐo--प-धूपं यक- स्वाहा ॥
For Private And Personal Use Only