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(४९) पंचाचारपूजा प्रारंन.
मङ्गलम्, प्रभु महावीर जिनवरा, तीर्थकर जयकार; सर्व विश्व शासन प्रभु, परब्रह्म सुखकार. ॥ १॥ प्रणमी वंदी पूजीने, गावं पंचाचार, पंचाचारे वर्ततां, मुक्ति लहे नरनार. ॥२॥ द्रव्यभाव आचार बे, साधन साध्य प्रकार; सापेक्षे साधन सकल, आत्मशुद्धि करनार. ॥३॥
प्रथम ज्ञानाचार पूजा.
दुहा. मोहनजी मोकलोरे मोसाळु अथवा शोहि जिन पूजीए
मनरंगे-ए राग. प्रभु महावीर जगहितकारी, प्रतिबोध्यां नरने नारी, धन्य महावीर जग उपकारीरे, आज मनोरथ
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