________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ३४२ ) जलं, चंदनं, पुष्पं, धूपं, दीपं, अक्षतं, नैवेद्यं, फल,
यजामहे स्वाहा ॥
द्वितोया तीर्थकर नाम कर्मबंधक पूजा.
धन्य धन्य महावीरनो, पच्चीशमो अवतार; भरत उत्रिका नगरीमां, जन्म्या जग हितकार ॥ १॥ जितशत्रु राजातणी, जद्रा राणी कूख; नन्दन नन्दन नामथी, जन्म्या जस बहु सुख. ॥ २ ॥ पोहिलसूरि उपदेशथी, ग्र ुह्यं चारित्र उदार; सम कितने चारित्रथी, निश्चय मुक्ति थनार ॥ ३ ॥ सम किसने पाम्या पबी, समकित जो टळी जाय; तोपण पालुं ते लही, चारित्री शिव पाय. ॥ ४ ॥ सर्वनयोनुं सार बे, द्रव्य जाव चारित्र; चारित्री निश्चय करे, सर्वकर्मने रिक्त. ॥ ५॥
For Private And Personal Use Only