________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ३३५ ) वाचक पूजानी बलिहारी. वाचक० ॥ १ ॥ ज्ञानानुजवसुखनी क्यारी, पंच महाव्रत पंचाचारी. वा० मुनिगण पाठक जगहितकारी, श्रुतरसिया संयम गुणधारी. वाचक० ॥ २ ॥ पूजी वंदी वाचक पदने, आनंद पामौ नरनेनारी; बुद्धिसागर गुरु अवतारी, वाचक जगमां बे सुखकारी. वा० ॥ ३ ॥
ॐ वाचक पद पूजार्थ ज० य० स्वा०
॥ पंचमी साधुपद पूजा ॥
इन्द्र चन्द्र नागेन्द्रनी पदवी न इच्छं लेश; क्षण पण साधु संगति, इच्छं रहे न क्लेश० ॥ १ ॥ पूजुं मुनिपद प्रेमी, इच्तुं मुनिवर संग; क्षण पण साधु संगतें, प्रगटे ज्ञान तरंग ॥ २ ॥ संतथी प्रभु परखाय छे, विणसे मोहविलास; प्रभुदर्शन प्रभु प्राप्तिमां, साधु दलाल ज खास ॥ ३ ॥
For Private And Personal Use Only