________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३०३ ) महावीर पट्ट परंपरा, तपगच्छ सागर शाखे, रविसागर गुरु सुखसागर गुरु, जिन आणा दिल राखेरे प्रभु० ॥ ३ ॥ मधुपुरीमां पद्मप्रभु जिन, गुरुनी पूर्ण कृपाए; यानंद मंगल ऋद्धि सिद्धि, पूजा करंतां थारे प्रभुः || ४ || घर घर संघमां यानंद मंगल, पूजाथी सुख भारी. बुद्धिसागरसूरि ऋद्धि, वृद्धि कीर्ति जयकारीरे. प्रभु० ॥ ५ ॥
अथ नवपद लघु पूजा. प्रथम अरिहंत पद पूजा.
परम प्रभु परमातमा, परब्रह्म महावीर; शासनपति अरिहंत जिन, सर्व धीर महाघीर. ॥. १. ॥ वंदी पूजी ध्याइने, नव पद पूजा सार; रचुं स्वपरहित कारणे, आत्म शुद्धि करनार ॥ २ ॥ तीर्थंकर सर्वे प्रभु, अर्हतु पदमां समाय; चार निक्षेपे जाएतां, पूजे शिव सुख थायः ॥ ३ ॥
For Private And Personal Use Only