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(२८५) तिमानी माफक करवी, पगलां पाषाणनां होयतोते पर जल अनिषेक तथा चंदन पुष्प वगेरे प्रतिमानी पेठे चढाववां, धूपदीप आगल करवो. पगलां अगर मूर्तिनी आगळ, स्वस्तिक नैवेद्यफलने ढोकवा; केशरचंदननी पादुका करी होयतो तेनी आगळ जल कसशादिक मूकवा. जिनमन्दिरमा गोखलामा गुरुमूर्ति अगर पादुका होयतो श्रीजिनप्रतिमानो मूळ गजारो बंध करीने गुरु पादुका अगर मूर्ति आगळ पूजाभणाववी, अरिहंत जेम परमेष्ठी के तेन आचार्य उपाध्याय अने मुनि ए त्रण पंचपरमेष्ठीमां छे तेथी तेमनी मूर्ति पादुका डे ते जिनमूर्ति वा पादुकानी पेठे पूजवा योग्य छे जे दिवसे सूरिवाचक साधुए देहोत्सर्ग कयों होय ते दिवसे गुरुपूजा जणाववी. स्नात्रियाओने जमामवा. तेमने लाडु आदिनी प्रजावना करवी. पूजामां आवनार सर्वनी प्रभावनाथी भक्ति करवी. शक्ति होयतो जमण पण कर. पादुका अगर मूर्ति आगळ उत्सव करवो. सांजरे
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