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( १६४) सापेक्षे लघुता समजो, मान अहंवृत्ति दमशो, बुद्धिसागर दिल रमशोरे. लघुता० ॥ ११ ॥
ॐ लघुता लाभार्य ज० या स्वाहा ॥
__ अष्टम एकता क्रियापूजा.
वीर प्रभुथी एकता, भावो नरने नार; क्य करी प्रभु साथमां, लहो जवोदधिपार. ॥१॥ संग्रह नय सत्तावमे, सर्व जीवो छे एक; आतम सत्ता ध्यावतां, प्रगटे व्यक्ति विवेक. ॥२॥ जम्थी न्यारो पातमा, गुणपर्यायाधार; एकता जावे भावतां, कर्म रहे न लगार. मेरुशिखर न्हवरावे हो सुरपति मेरुशिखर न्हवरावे.
ए राग. आतम एकता घ्यावो हो, नविजन !!! आतम एकता ध्यावो; प्रभुमा लयलीन थावो हो, नविजन! आतम एकता ध्यावो॥ एकता भावना जावो विवेके, नय सापेक्ष प्रमाणे; द्रव्यार्थिकथी एकता ध्याता
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