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( १५६ )
चतुर्थी वचन क्रिया पूजा.
वाचिक शक्ति पूजीए, प्रभु महावीर जिणंद; वीरे वाचिक शक्तिथी, टाळ्या भवना फंद ॥ १ ॥ प्रभु वाणीने पूजीए, सेवीए सुखकार; प्रभु वचन समज्याथको, पामो भवनो पार ॥ २ ॥ सत्य असत्य जे वचन छे, समजो तेना भेद; निश्चयने व्यवहारथी, समजे नासे खेद ॥ ३ ॥
सुमतिनाथ गुणशुं मलीजी. ए राग.
सत्य वचनने यादरोजी, भावधरी नरनार; धर्म संघ परमार्थमांजी, करवो वचन व्यापार; महावीर प्रभुए, सत्य वचन कथ्यां ॥ १ ॥ निजपर उन्नति काजमांजी, देवा धर्मोपदेश; सदुपयोगे वचननेजी, वापरशो सही क्लेश. महावोर० ॥ २ ॥ जूठां वचनो नहीं वदोजो, सत्यवचननो प्रकाश; सत्य असत्यना जेदनेजो, जाणीने करशो विकास. महावीर० ॥ ३ ॥ मृत्यु यदि भय त्यजीजी,
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