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( १४९ )
अथ नवधा क्रिया भक्ति पूजा.
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परम प्रभु परमातमा, चोवीशमा जिनराज; वर्धमान महावीर नमुं, विश्वपति शिरताज ॥ १ ॥ नवधा भक्ति पूजना, पूज्यनी करतां सार; पूजक पूज्यपशुं वरे, पूज्य बनो निर्धार ॥ २ ॥ नवधा भक्तिनी जली, पूजा शिवदातार; आतम ते परमातमा, व्यक्त बने नरनार ॥ ३ ॥ जक्तिनी पूजा रंचं हृदय शुद्धि करनार, शुद्ध हृदयर्थी ज्ञाननी, प्राप्ति छे जयकार ॥ ४ ॥ देवगुरुने धर्मनी, संघनी भक्ति बेश; करतां मुक्ति थाय छे, नासे सघळा क्लेशं ॥ ५ ॥
प्रथम श्रवण क्रिया पूजा.
प्रभु महावीर देवनां वचन सुणो नरनार; गुरु संत उपदर्शने, सुणतां ज्ञान थनार ॥ १ ॥ श्रवणकी श्रुत ज्ञान बे, श्रुति ते हेत कथायः प्रभु वचनामृत सांजळे, सम्यग्ज्ञान सुहाय ॥ २ ॥ ब्राह्मी सुंदरी मुखथको, सुणी वचनामृत सार;
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