________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(८५) सहियर सुपिएरे भगवती सूत्रनी वाणी. ए राग.
प्रभु महावीर विभु उपदेशे, सर्व जगत् हितकारी; धर्म क्षमा धारो नरनारी, क्रोधकषायने वारी. ____ आत्म स्वभावनेरे, समजी क्षमा गुण धारो; क्षमावंत साधुरे, बाकी वेषाचारो. आत्म० ॥१॥ अपकारे उपकारे क्षमाने, धारे बहुला लोको; धर्म क्षमा सहजे घट प्रगटे, ज्ञाने क्रोधने रोको. आत्म. ॥२॥ कूरगमु खंधकना शिष्यो, धन्य मेतार्य मुनोन्द्रा; काने गोपे खीला मार्या, सहिया वीर जिनेन्द्रा. यात्म ॥३॥ अच्चंकारी भट्टा मोटी, धन्य क्षमा गुण दरिया; अहंवृत्ति ममता नहि जेने, क्षमा गुणी मुनि तरिया. आत्म० ॥ ४॥ वेष क्रिया तप जप सहु साधन, धर्म क्षमाथी सफळां; शुभ अशुभ वृत्ति नहि रहेता, साधन नहि छे खपनां. आत्म० ॥ ५॥ देहादिक अभ्यासो छंमी, आतमना उपयोगे; रहेतां धर्म क्षमा गुण प्रगटे, समताना संयोगे. आत्म० ॥ ६ ॥ चिदानंद
For Private And Personal Use Only