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(८३) सागर पाठक जयकारी, सागर शाखा धार); पट्ट परंपर रविसागर गुरु, रविसम प्रगटया भारीरे. वीश० ॥ ८॥ पूर्ण प्रतापी सुख सागर गुरु, करुणा आशोः प्रभावो; बुद्धिसागर पूजा रची शुभ, संघमा थाओ वधावोरे. वीश० ॥ ९ ॥ ॐ ह। श्री तीर्थ पूजार्थ जलादिकं यजामहे स्वाहा.
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