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(७५) पिया शासनना प्रभावक, वंदु वार हजारी; बुद्धिसागर मंगल माला, पद पद आनंद कारी रे. तप०॥५
पन्नरमी गोयम पद पूजा. वर्तमान जे वर्तता, साधु श्रमणी जेह; दान दियंतां तेहने, पामो स्वर शिव गेह. ॥१॥
ए व्रत जगमां दीवो मेरे प्यारे. ए राग.
भावथी दानने दोजे हो, नविजन ! जावथी दानने दीजे॥ अनय सुपात्रबे दान प्रभावे, आतम उज्वल कीजे. हर्षोल्लासे तीर्थकर पद, बांधी मुक्ति वरीजे हो. नविजन ॥१॥ संघ चतुर्विध सेवाजक्ति, करतां निश्चय मुक्तिदानथी त्यागने त्यागथी शिवपद, आतम शुद्धि प्रयुक्तिहो. भविजनः ॥ २॥ अांखे अश्रु रोमांच विकसित, हृदये हर्ष न मावे; गदगद वाणी दानी एवो, सर्वोत्कृष्ट कहावे हो. भविजन ॥ ३ ॥ स्वार्पण भावे दानने देता, शिवपद सहेजे थावे; सात क्षेत्रमा दान दियंतां,
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