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॥ पद. ए ॥ सहज स्वरूपी मारो तरजामी, परमातम घटरामी
प्रनु चिन्मय गुणधारी. निश्चय नयश्रीशुभ स्वरुपा, जागा ए रुपारुपी. प्र. १ पर्याय समये समये अनंता, प्रति प्रदेशे फरंता प्रनु नत्पाद व्यय स्थिति त्रण स्वरुपे, समये व्य प्ररुपे. २ आनंद आपलवपुःख कापे, आपोआप प्रतापे प्रनु० यात्मिक शुस्वन्नावनो नोगी, योगिनो पण योगी३ शक्तिअनंति सदानो जे स्वामी, नामी पण ते अनामी सुजन सनेही व्हालो ध्यानेरे आवे बुद्धिसागर सुख पावे
पेथापुर.
॥ पद एए॥ याद करीले सिह सनातन, गेमी सब ऽनीयादारी, परगट पिएमे वसोयो पोत, परम ब्रह्मपद गुणधारी.१ हुँने मारूं सब परिहारी, कर तुं परमातम यारी तत्वमसि माया नहि तेरी, खोल खरी पंचमबारो, २ मुक्तिस्थान नहि तेरा दुसरा, कर मिलजाने तयारी ध्यान लगादे श्वासोश्वासे, सकल संगसे परवारी: ३ निर्मल आत्म प्रदेश नीहाळी, वर चिन्मयपद सुखकारी नहि तुं न्यारा तेथो प्यारा, वीतराग पदमय नारी.४ सत्यनिरंजन निर्भय देशी, पावे तोहे हुंशियारी
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