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हुँ शुं जाणुं ना होतुं आवं, दीकरो माने तेमेरे. २ चार जुगनी चोरी बनावी, परण्यो दीकरोने मायरे; हुं शुं जाणुं ना होतुं पाएँ, दोनारीने प्रवे गायरे.३ आकाश मार्गे उमो कुवो, जळे नर्यो अति पूरोरे; खरे बपोरे जुवो पिताजी, दरियो नावमा बुझ्योरे, अग्निमांथी मेघज वरशे, गगने पहोच्यां पाणीरे; दास मलुकचंद युंकर बोले, नखटी गवाइ ए वाणीरे.५
॥ पद ए ॥ अहो देवनी गति न्यारी, सह प्राणीने थइ नारी . घमीमां करे पलकमां हरे.दीवो वायुथी जुवो ज्यु फरे.! जेना नादथी सह नाशे, जेनी ज्योतथी सह नासे; अवस्था एक ते ना घरे, गति देवनी गमे ते करे. अ.२ जेना शौर्यथी सहु बोना, जेनी कान्तिमा सहु लीना; नूच्या नूलश्री नलीबाजी,गतिदैवनो रही गाजी.अ.३ जेनी हाकयी सह बीता, नएया नावधी वली गीता जेवी कर्मनी गति तेवा, रुवे के मरे जमे मेवा. अ. अवस्था सदा विचित्रा सहु, जुओ रामनी कथा शुकहुं जुन कौरवो बहु फुल्या, प्यारी प्राण धन सहु मुल्या.५ पलकमां ताप पककमां गय,अवस्था एक कदी नाजाय घरी मान शुंनूले नान, चेती चित्तमां घरो ध्यान..६ सजी साधनो धरो ध्यान, बुद्धि आत्मना करो गाना
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