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४२ झानथो की, प्रकाशी, अन्तरमा क्षपक श्रेणिए महेले चमंता, दायिक लब्धि वरंता,
अन्तरमां. २० शक्ति व्यक्ति घट अन्तर जागी, सुख विलसे महानागी, अन्तरमा पुद्गल संग निवारी समयमां, तन्मय रुप शुः पामे. अन्तरमां. २१ आतम नरनारी समता संयोग, नोगवे शाश्वत लोग.
अन्तरमा मळीयो समय लेखे एमज आवे बुद्धिसागर शिव दावे, अन्तरमां. २२
पेश्रापुर.
॥ पद ५४ ॥ चेतन अनुत्नव रंग रमीजे, आगम दोहन अनुन्नव अ
मृत योगी अनुन्नव रीजे अनुन्नव अमृतवखि सरखो, अनुनव केवल ना अनुत्नव शाश्वत सुख सहोदर, ध्यानतनुज सुखदाइ.१ अनुपम अनुनव वर्णन करवा, कोन समर्थ कहाव; वचनागोचर सहज स्वरुपी,अनुन्नव कोइक पावे. चे. अनुन्नव हेतु तप जप किरिया, अनुन्नव नात न जाति नयनिकेपाथी ते न्यारो, कर्म हणे घनघाति. चेतन.३
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