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जेथी समजतो नश्री हुं तो, कृपालु चांक गुन्हो शो मारोरे श्राव्यो, वैरी वेश्याए नमाव्यो,
कृपालु; सुख अनन्तु घरमां न दीवं, विष्ठाए ग्रॅम मन मीटुं, कृपासु०१० वेश्या तो नारी कदी थाशे न तारी, वैरिणी दुःख देशे नारी,
कृपालु मुखे मीठी ने मन राखे ने काती, फोली खाधी तारी गती. कृपालु० ११ घ' कहतारे मने अाँसुमा आवे, शरम तने शीद नावे.
कृपालु, कहो तो स्वामिजो हुं वैरागण होवू, कहो तो निशदिन रोवं. कृपालु १२ निर्दय श्रइ तमे सामु न जुवो, पोतानी पत तेमां खुन, आवी कुलवट तमे क्यांधीरे राखी, कया नगते ते नाखी.
कृपालु० १३ उष्ट चोरोए तमने पकमीने लुटया, कष्ट आपीने खुब कूटया,
कृपालु जागीने जुन जरा आंख नघामी, दृष्टिनो दोष दूर काढी. कृपालु० १५ पाये पसीने एम विनति करूं छं
कृपालुः
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