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जगतज्ञान भूलेरे, कारज सहु सदेजे सरे. 5. १ घमीमां सारो घमीमां खोटो, डुनीया बोले बोल, खोटाने सारो कोइ कदेवे, कोण करे तस तोल; समजीने सौ रदेवुंरे, करशे जेवुं तेवुं नरे. 5. ३ स्वप्ना जेवी डुनीयादारी, दर्पणमां मुख बाय, आत्मविना पुद्गलमां खेले, सुख कदी नही थाय; समजो समजु शालारे, चिद्धन अर्थी शान्ति वरे. 5. ४ सौथी न्यारो चिन प्यारो, अंतर प्रातम लेख, परमातम परगट पोते तुं, शुक्ल ध्याने देख; बुद्धिसागर समजो रे, वळजो चिदानन्द घरे. डु. ५ || पेयापुर ||
|| पद ३३ ॥ राग धीरानो ॥ अनुभवी आवोरे, अनुभव वात करो, मायानी जून जागीरे, देखाको शिवमार्ग खरो, चरम नयणथी मारग जोतां, मारग नावे हाथ; बाहिर नयसे मारग जोतां, मूख्यो त्रिभुवन नाथ. मायानी मोज मारीरे, तेने दवे अपदरो. मूल्यो फुल्यो जवमां जारे, खरे दीवस अंधार, अंधारे प्रमाण ज्यां त्यां, लाख चोराशी मजार; आमो अवळो दोमचोरे, वीनतमी दील घरो. प्र.
अ. १
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