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१५ घवजी सन्देशो कहेजो श्यामने-ए राग.
हितशिदा (गुंहळी.) पद. २३६ ॥ सुखदायक हित शिक्षा साचो सन्निको धरजो मनमां हेत धरी नरनारजो, प्रतुत्नक्ति श्राश्री सुखमा पामझो, हरतां फरतां गणजो मन नवकारजो. सुख. १ निन्दा चामो चुगली करवी वारजो, देष करो नहि शत्रपर तलजारजोः आळ न देवू परना उपर वैरथी, पेट जरीने करशो नहि आहारजो.
सुख. २ निज शक्ति अनुसारे लक्ष्मी धर्ममां, वापरवी सही मानव नव अवतारजोः हळी मळी संपीने घरमां चालवु, घरमा करवो नहि खटपटश्री खारजो. सुख. ३ दीन दुःखी अन्धापर करुणा कोजीए, परनपकारे पापकर्मनो नाशजो; मनमां पण बुरुं नहि परनुं चिंतवो, सारामां सारं धर विश्वासजो. सुख. ४ सुखनी वेळा नाग्य थकी जो संपजे, त्यारे मनमां करवो नहि अहंकारजो, दुःखनी वेळा दीलगीरीने त्यागीए, एक अवस्था रहे नदी संसारजो. सुख. ५
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