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मुनिमहाराज श्री बुधिसागरजी कृत पद संग्रह (भजन संग्रह.)
नाग १ लो.
श्री केशरीयाजीनुं स्तवन. १ केशरीया तीर्थ बमा नारी,नाविक तुम पूजो नरनारी; शरण एक रूपन्न प्रत्नुधारी,कपट ओर निंदाकु वारी. के० संवत भोगणीश बासमें, विजापुरनो संघ, दर्शन करवा नीकळ्योरे, प्राणी हर्ष नमंग शोक सहु चिन्ताने वारी,गणी सब मिथ्या जगयारी.के१ कृष्ण पद उ मंगलेरे, मास रूमो हे पोष, प्रथम जिनेश्वर नेटीयारे, पाया मन संतोष धर्म हे उपयोगे धारी,जिनाझा जाणी सुखकारी.के०२ हरिहर ब्रह्मा तुं खरोरे, शिवशंकर महादेव, दोष अढारे कय कर्यारे, सुरनर करता सेव; खुदा तुम अकलगति न्यारी,निरंजन ब्रह्म दशा तारी.के०३ अलवेश्वर अरिहंतजीरे, चार अतिशयवन्त, अजरामर निर्मल प्रन्नुरे, सेवे सज्जन संता अचल तुजजगमांबलिहारी,जिनेश्वर जागोजयकारी.के.। तुंहि तुंहि तुं हुं स्मरे, व्यक्तियी हे नेद,
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