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पेखिओ ए गोयमसामी देवशर्मा प्रतिबोध करे, आपणो ए त्रिशलादेवीनंदन पहोतो परमपए । वळतां ए देव आकाश पेखवि जाणिय जिणसमे ए, तो मुनि मनि विखवाद नादभेद जिम ऊपनो ए ।४७। कुण समो ए सामिय देखि आप कन्हे हटालिओ ए, जाणतो ए तिहुअणनाह लोकविवहारु न पालिओ ए। अतिभलं ए कीधलं सामि जाण्यु केवल मागशे ए, चितवियु ए बालक जेम अहवा केडे लागशे ए ।४८॥ हु किम ए वीर जिणंद ! भगते भोळो भोळव्यो ए, आपणो ए उचिओ नेह नाह ! न संपे साचव्यो ए। साचो ए एक वीतराग नेह न जेणे लालिओ ए, इण समे गोयमचित्त रागवैरागे वाळिओ ए ।४९। आवतुं ए जो ऊलट्ट रहेतु रागे साहिउ ए, केवल ए नाण उप्पन्न गोयम सहेजे उमाहिओ ए। तिहुअण ए जयजयकार केवलमहिमा सुर करे ए, गणहरए करय वखाण भवियण भव जिम निस्तरे ए ५० वस्तुछंद-पढमगणहर पढमगणहर वरिसपंचास, गिहिवासे संवसिय तीसवरिस संजम विभूसिय, सिरिकेवलनाण पुण बारवरिस तिहुयण नमंसियरायगिहि नयरीहिं ठविअ, वाणुंवयवरिसाउ.। सामी गोयम गुणनिलो, होशे शिवपुर ठाउ ।५।
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