________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जिहां जिहां दीजे दिक्ख, तिहां तिहां
__ केवल उपजे ए । आप कन्हे अणहुंत, गोयम दीजे दान इम ।।३१।। गुरु उपरे गुरुभत्ति, सामी गोयम उपनीय । इण छल केवलनाण, रागज राखे रंगभरे ॥३२।। जो अष्टापदशैल, वंदे चढी चउवीश जिण । आतमलबधिवसेण, चरमसरीरी सोय मुनि ।।३३।। इअ देसण निसुणेवि, गोयमगणहर संचलिअ । तापसपनरसएण, तो मुनि दीठो आवतों ए ॥३४।। तवसोसिय नियअंग, अम्ह शगती नवि उपजे ए। किम चढशे दृढकाय, गज जिम दिसे गाजतो ए? (३५। गिरुओ एणे अभिमान, तापस जा मन चितवे ए। तो मुनि चढीयो वेग, आलंबवि दिनकरकिरण ॥३६।। कंचणमणिनिप्फन्न, दंडकलसधजवड सहिय । पेखवि परमाणंद, जिणहर भरहेसरमहिय ।।३७।। नियनियकायप्रमाण, चउदिसि संठिअ जिणह बिंब । पणमवि मनउल्लास,गोयमगणहर तिहां वसिय ।३८। वयरस्वामीनो जोव, तिर्यगज़ंभक देव तिहां । प्रतिबोधे पुंडरीककंडरीकअध्ययन भणी ।।३९॥
For Private And Personal Use Only