SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताण पुत्त सिरिइंदभूइ भूवलय पसिद्धो, चउदहविज्जा विविहरूव नारीरस विद्धो । विनयविवेकविचारसार गुणगणह मनोहर, सातहाथसुप्रमाणदेह् रूपहिं रंभावर ||३|| नयणवयणकरचरण जिणवि पंकज जळ पाडिय, तेजे ताराचंदसुर आकाश भमाडिय । रूवे मयण अनंग करवी मेल्ह्यो निरधाडोय, धीरिम मेरु गभीर सिंधु चंगिमचयचाडिय ॥४॥ पेखवि निरुवमरूव जास जण जंपे किंचिय, एकाकी कलिभीत इत्थ गुण म्हेल्या संचिय । अहवा निश्चे पुव्वजम्म जिणवर इणे अंचिय, रंभापउमा गौरीगंगरति विधिआ वंचिय ॥५॥ बुध गुरु कवि न कोई जसु आगल रहिओ, पंचसया गुणपात्रछात्र हिंडे परवरिओ । करे निरंतर यज्ञकर्म मिथ्यामतिमोहिय, इण छळ होशे चरण नाण दंसणह विसोहिय ||६|| वस्तुछंद - जंबूदोवह जंबूदीवह भरहवासंमि, खोणीतलमंडण मगधदेस सेणिय नरेस | वर गुब्बरगाम तिहां, विप्प वसे वसुभूइ सुंदरतसु भज्जा पुहवी सयलगुणगणरूवनिहाण | ताण पुत्त विज्जानीलो, गोयम अतिहि सुजाण ||७|| For Private And Personal Use Only
SR No.008623
Book TitleNitya Mangal aur Gautamswami Ka Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year
Total Pages54
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy