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सज्जनो गुणानुरागी होय छे. दुर्जनो काकना जेवा दोष दृष्टिवाला छे. दुर्जन इालुओ तो छता गुणने पण अवगुण तरीके देखाडवानो प्रयत्न करे छे अने पयमांथी पूरा काढवा जेवी चेष्टा करे छे, एवा इालुओ उत्तम पूजाओ अने तेना रहस्यने दोषरूप देखाडवा प्रयत्न करे तेथी सज्जन गुणानुरागी समजु जनोने खराब असर यती नथी. जेओने सम्यग् दृष्टि प्रगटी होय छे तेओ तो श्री कृष्णनी पेठे ज्यां त्यां सारं देखे छे तेनी प्रसंशा करे छे अने गुणनारागी बने छे. जैन कोममा आचार्य महाराज साहेब जेवी प्रभावशाळी अल्प व्यक्तियो छे. तेमणे जैन कोमपर घणो उपकार कयों छ. जैनो अने हिंदुओ वगेरे सर्व कोमोमां, राजा रजवाडाओमां जैनाचार्य गुरु महाराजनी प्रतिष्ठा भारी छे, सर्व दर्शनवाळाओ ते. मना लेखोने ग्रन्थोने प्रेमभावथी वाचे छे, गुरु महाराजना रचेला अनेक ग्रन्थो छे. ग्रन्थमाळाना मणकामां आ अन्यथी वधारो थयो छे. तेमना हाथे विश्व लोकोनुं कल्याणथाय एवा ग्रन्थो हजीपणा लखाशे एवी इच्छा राखीए छीए. पूजाओमां ज्ञानदर्शन चारित्रादि गुणोनी भक्ति स्तुति अने ज्ञानादि गुणीओनी भक्ति करवामां आवे छे अने व्रत गुणोनी रुचि प्रगट थाय एवी भावना होय छे. आत्मानी शुद्धि करी आत्माने परमात्मा बनाववो अने अनंत जन्म जरा मरणना दुःखथी मुक्त थर्बु एज सर्व प्रकारनी पूजाओनो मूळ उद्देश अने उद्देश ग.मी 'पूजाओनो भावार्थ होय छे. वाचकोर पूजाओ गाइने बेसी न रहेवू पण तेनो भावार्थ ग्रहयो, सांभळी सांभळी फूटया कान-वाची वाची
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