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पूजासंग्रहनी प्रस्तावना,
शास्त्रविशारद - कविराज, जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरिकृत पूजासंग्रह खरेखर ज्ञान भक्तिरस अने चारित्र भावरसनो सागर के. श्रीमद्नी रचेली पूजाओमां भाव मुख्य छे. जे जे विषयनी पूजा रचेली छे तेनुं उत्तम हार्दिक स्वरूप चितर्यु छे, एटलुंज नहि परंतु तेमां स्थळे स्थळे तेमना उद्गारो के जे ज्ञान भक्तिरसमय छे ते देखाय छे. कर्तानुं य हृदय नीतरे छे ते काव्य छे. आनंद रसना उभरा अने अनुभव ज्ञानना उभराओ ज्यां त्यां पूजाओमां वांचतां अनुभवाय छे ते सहृदय साक्षर पूजानुभवी भक्तो स्वयमेव जाणी शकशे. गुरुमहाराजे रागों के जे पूजाओमां प्रचलित छे तेमां पूजाओ रची छे. केटलीक पूजाओने रागणीओमां पण रची छे. पंचधा योग पूजा, अष्टांग योग पूजा, दानशीयल तपज़ात्र पूजा, षडावश्यक पूजा, महावीर जन्म जयंती पूजा वगेरे पूजाओ के पहेलां कोइए रची नहोती एवी पूजाओ रचीने तेणे पूजारसिकोने नवीन पूजाओना आनंदरस आस्वादन प्रति आकर्ष्या छे. गुरुमहाराजनी रचेली पूजाओमां मासानुपास, झडझमक साथै आध्यात्मिक ज्ञान भक्ति चारित्र रसनो प्रवाह वह्या करे छे. तेमनी रचेली पूजाओ घणे ठेकाणे भणावत्रानी इच्छावाळा श्रा बको ज्यां त्यां गामोगाम पूजासंग्रह बहार पडया पहेला अगाउथी
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