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नी नवपदनी स्तुतिनो संग्रह करीने कोइए नवपद पूजानी योजना करी छे. खरतरगच्छ अने तपागच्छ बन्ने पांए नवपदनी पूजा भणावाय छे. श्री विजयलक्ष्मी सूरिकृत वीरास्थानकनी पूजानी जैनोमां घणी प्रसिद्धि छे. विद्वानो ते पूजाने भणावी विशेष हर्ष पामे छे. पुरुष मुनिवरों अनुकरण करीने मारावडे प्रसंगोपात्त केटलीक पूजाओ रचाइ छे ते आ पूजा संग्रहनुं पुस्तक वांचतांज वांचको जाणी शकशे.
मारी बनावेली पूजाओ - सो, विजापुर, साणंद, महुडी ( मधुपुरी ) मेसाणा, र चार गाममां रचायेली छे, दरेकमां पूजा रानो संवत् छे. विशेषमां गुरुपूजा अने प्रभु महावीर देवना यक्ष तरीके श्री घंटाकर्ण महावीरनी पूजाओ छे. त्रीजा, चोथा अने पांचमा परमेष्ठी मां गुरुतत्त्वनो समावेश थाय छे. श्रीमद् रविसागरजी गुरु महाराज अने श्रीमद् सुखसागरजी गुरु महाराज, ए वे परम उपकारी गुरुओना गुणनी पूजा रचवामां आवी छे. गुरुनी पादुका तथा मूर्ति आगळ अगर अन्यत्र गुरुनी स्थापना करी गुरु पूजा भणाववी. नवपदनी पूजामां अरिहंत, सिद्धनी पेठे आचार्य, वाचक, तथा साधुनी पूजा है. गुरुमां आचार्य, वाचक, मुनिनो समावेश थाय छे, खरतरगच्छमां श्री जिनदत्त, तथा श्रीजिनकुशलसूरिनी पूजा भणवामां आवे छे. पूजाओनी चोपडीओमां दादानी पूजा प्रसिद्ध छे, श्रीमद् रविसागरजी दादागुरु महा प्रभावक, चारित्रपात्र चूडामणि थया छे, माटे तेपनी पूजा रचेली छे, गुरुभक्तो गुरुगुण
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