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लाभ तेओए लीयो ए स्वाभाविक छे. कपोलज्ञातिना मनुष्योनी . अल्प संख्या छे तेओ व्यापार वगेरेथी आजीविका चलावे छे. केटलीक कपोल ज्ञाति जैन छे एम सांभळ्यु छे. काठीयावाड, सुरत, मुंबाई वगेरेमां तेमनी वसति छे.
सितकेशज्ञाति-सोळमा सैकामां सितकेशज्ञाति जैनधर्मी हती अने तेणे जैनप्रतिमाओ भरावी छे. सितकेशज्ञाति हाल विद्यमान छे के केम ? तेनो तपास करवानी जरुर छे.
निमावणिग्ज्ञाति-कपडवणन वगैरे गामोमां नीमा वाणियाओनी विशेष वसति छे. तेओ जैनधर्मी छे. तेओए जैन मंदिरो बंधाव्यां छे. जैन उपाश्रयो बंधान्या छे. तेओनी ज्ञातिमाथी जैनाचार्यो साधुओ थया छे. हालपण तेओनी ज्ञातिमांथी मुनि थएल पन्न्यास आनंदसागरजी, पन्न्यास मणिविजयजी, जैन कोममां गीतार्थ विद्वान् तरीके सर्वत्र प्रख्यात छे.
श्री वंशज्ञातिनो लेख पत्र १६३ मामां छे.श्रीश्रीवंशज्ञातिना लेखो १६८-१७७-२०३-२१३-२१८-२३२-२३५ पत्रे छे. श्री श्री वीरवंशज्ञातिनो लेख १७२-१८१ मा पत्रे छे. आ त्रण वा बे ज्ञातियोनो इतिहास शोधाय छे. ते संबंधी विशेष आणवामां आवतां प्रगट करवामां आवशे सोलमा सत्तरमा सैका सुधी तो ते ज्ञातियो विद्यमान हती. हाल विद्यमान छे के केम तेनो तपास करवानी जरुर छे. - उकेश चहुहाणज्ञाति-उकेश अने चोहाण क्षत्रियोनी साथे ते ज्ञातिनो गाढसंबंध छे. पूर्वे चौहाण राजपुतो चौदशीया पक्षना आचार्यना भक्तो हता. संडेसरगच्छना श्रावको तरीके शिशोदिया राजपुतो हता. हालपण शिशोदिया वंशना गुरु तरीके घंडेरगच्छना श्री पूज्य मारवाङमा छे.
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