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(१४) छे, अने युरोपीयनो पण आवे छे. तेनी कारीगरी जोई घणा खुशी थाय छे. आबुनीना देहरासर पासे वस्तुपाल तेजपालना बंधावेलां देहरासर छे, तनी कारीगरी पण अत्युत्तम छे. वस्तुपाले अने तेजपाले बीजे बणे ठेकाणे देहरासर कराव्यां छे तथा २१ जैनज्ञानभंडार कराव्या हता अने सिद्धाचलनो संघ काढीने १२॥ यात्राओ करीने करोडोरुपियानो खर्च को हतो. तेनी संततिमा दशा पोरवाड जैन वणिको छे. वीशापोरवाड जैनो पैसेटके सुखी छे. तथा जैन कोममां आगेवान छे. ते कोमे घणा जैनज्ञान भंडारो तथा देहरासरो ने प्रतिमाओ करावीने जैनधर्मनी घणी झाहोझलाली दर्शावी छे. पोरवाड कोमे जैन धर्मनी उन्नति करवा माटे घणा आचार्यो उपाध्यायो ने साधुओने घणी सहाय करी छे ते ते कोममाथी घणा जैना चार्यो, उपाध्यायो अने साधुओ थया छे. वीसा तथा दशा पोरवाड जैनोए घणां देहरासर तथा घणी जैन प्रतिमाओ भरावी छे. ते संबंधी हजारो लेखो मली आवे छे. वीसापोरवाड सर्वे जैनधर्म पाळे छे अने दशापोरवाड पण जैनधर्मी छे. हाल केटलाक दशापोरवाडो थोडी संख्यामां वैष्णवधममां दाखल थया छे तेम छतां तेओ जैन साधुओने मान आपी हजी सुधी जैन आचार विचार पाळे छे. दशापोरवाडनो मोटो भाग जैन धर्म पाळे छे अने तेओ जैन धर्माभिमाननी सारी लागणी धरावे छे.
उवलज्ञाति-उवलज्ञाति संबंधी विशेष हकीकत वांचवामां आवी नथी. अन्य लेखोमां ते संबंधी हकीकत मळशे तो तेनुं भविष्यमा विशेष वर्णन करवामां आवशे. ___ पल्लिवालज्ञाति-जैनश्वेतांबर पल्लिवालज्ञाति अने श्वेतांबर पल्लिवालगच्छने निकटनो संबंध जणाय छे. पल्लिवारमा (पालीमा) पल्लिवार वणिकोना नामे वा पल्लिवाल गामना नामे पल्लिवाल ज्ञाति प्रसिद्ध थएली जणाय छे. मारवाडमां वा मारवाडना शिरोही जील्ला वगेरे प्रदेशोमा पल्लिवालनगर, गाम अगर हालतुं पाली होवू जोईए. गुजरातमां, काठीयावाडमा पल्लिवाल
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