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(११) आचार्य थया छे अने तेमना संतानोमां पण घणा आचार्यो, थया छे. नागरज्ञातिमा घणा वणिकोने मंत्रिपद मल्यां छे. अचलगच्छीय श्रीजयकेशरसूरिना उपदेशथी नागरज्ञातिना मंत्रि भामामी भार्या दूवी तेना पुत्र वालामंडण तेमणे श्री संभवनाथनी प्रतिमा भरावी. हती. ..संवत् १५३६ नी सालमा कुकरवाडा गाम वास्तव्य नागरज्ञाति शेठ राजा सुत नाथाकेन संभवनाथनी प्रतिमा भरावी हती के जेनी प्रतिष्ठा तेमना गच्छगुरु वृद्ध तपापक्षी श्रीरत्नसिंहमूरि, श्रीउदयवल्लभसूरि, श्रीज्ञानसागरमूरि विगेरे आचार्यो थया हता तेमणे प्रतिष्ठा करी हती. वडनगरमां अंचलगच्छेश श्री. जयकेशरसूरिना उपदेशथी वडनगरना नागर व्यवहारी शेठ राणाना पौत्र आंबा खीमाए श्री संभवनाथनी प्रतिमा भरावी हती. वि० सं० १४८५ नी सालमा नागरज्ञाति शेठ गोवी साजन तेमना पुत्र शेठ गोवी साजने महावीर स्वामिनी प्रतिमा भरावी ने तेनी प्रतिष्ठा श्री जैनसिंहसूरिए करी. सं. १६१४ मां पयापुरवासी नागरज्ञातीय दोसी हीरा भार्या मेतू पुत्र दोसी राणाक भार्या पूरी प्रमुखकुटुंबे वृद्ध भार्या कालीना कल्याण माटे सुमतिनाथनी प्रतिमा भरावी अने प्रतिष्टा श्रीरत्नसिंहसूरिए करी इत्यादि. नागर ज्ञातिए भरावेली प्रतिमाना घणा लेखो छे. वि. सं. १७ मी १८ मी सदी सुधी नागरवणिको जैनधर्म पाळता हता ने पश्चात् तेमांना केटलाक महेश्वरी अने विष्णु धर्म पाळवा लाग्या अने हाल तो ते ज्ञाति, जैन धर्मथी भ्रष्ट जेवी दशावाळी थई गई छे. वडनगरमां संवत् १९३०-४० नी शाल सुधी नागरवाणियानां २०-३० घर जैन धर्मी रह्यां हतां, परन्तु बीजा वैष्णधर्मी नागरवणिकोए जैनधर्म पाळनार नागरज्ञाति उपर दवाण कर्यु के जो तमो जैन धर्म पाळशो तो कन्या आपवामां नहीं आवे. आथी तेओअमदावादमां श्रीआत्मारामजी, श्रीरविप्तागरजी, श्रीमोहनलालजी महाराज वगैरेने विनंति करी के अमोने अन्य वीशा श्रीमाली वणिक कोममा
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