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गच्छना महात्माओनी वहीओमां वीशाश्रीमालीने दशाश्रीमालीनी वही छे तेमां तेओना गोत्र विगेरे घणी हकीकत छे. वीशाश्रीमाली नैनो मोटा भागे वेपार, राजाओगें कारभारीपणु विशेष करे छे. मोटा भागे वेपार करे छे. मारवाड, मेवाड, गुजरात, काठियावाड, बंगाल, दक्षिण, खानदेश मध्यप्रान्त कच्छ, वागड वगेरे घणे स्थाने वीशाश्रीमालीनो मोटो भाग छे. पाटण, राधनपुर विगेरे स्थळोमां नगरशेठ वीशाश्रीमाली छे. वीशाश्रीमाली जैनधर्म पाळवामां चुस्त छे. वीशाश्रीमाली, दशाश्रीमाली, ए वे श्रीमालीना भेद छे. वीशाश्रीश्रीमालीमां जैनाचार्यो, उपाध्यायो, साधुओ घणा थयेला छे ने विशाश्रीमालीओए सिद्धाचलना उद्धारो पण कराव्या छे. गुजरातना अमदावाद शहेरमां वीशाश्रीमाली ने दशाश्रीमालीनी वस्ती घणी छे. वीशाश्रीमालीओ हवे असलनी स्थिति जाळवी राखवाने माटे मंडळो वगेरे भरी पूर्ण प्रयत्न करी रह्या छे. पूर्वना व्यापारो अने सत्ता पुनः प्राप्त करवाने माटे तेओ अभिमान पूर्वक प्रयत्न करी रह्या छे. हवे तेओ पोतानी नातजातमां उन्नति माटे अनेक जातना सुधारा करवा लाग्या छे वीशाश्रीमालीनी वस्तीमां गामोगाम कंईक घटाडो थवा लाग्यो छे. अने रांडीरांडोनी वस्ती वधवा लागी छे. तो हवे तेओए पोतानी कोमनी संख्यावृद्धि माटे चांपता उपायो लेवा जोईए. ____डीसावालज्ञाति-पालणपुरनी पासे आवेला डीसा गाममा रहेनार वणिकोना नामथी डीसावालज्ञातिनी उत्पत्ति थयेली छे. डीसावाल वणिको असल जैनधर्मी हता. वादिवेत्ताल शान्तिसूरि, ननसूरि, अभयदेवसूरि वगेरे आचार्योए डीसावाल जैन वणिकोनी झाहोझलाली करवामां आगेवानी भर्यो भाग लीधो हतो. डीसावाल जैन कोममांथी अनेक आचार्यो, उपाध्याओ ने साधुओ थया छे. डीसावाल वणिको घडगच्छ ने तपागच्छना श्रावको कहेवाय छे. आ पुस्तकना पत्रमा १७-७७
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