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अथगुरुपूजाभणाववानो विधि,
उपाश्रयनी अंदर अथवा अन्यस्थानमां गुरुनां पमलां स्थापवां, अथवा केशरचंदननी बे पादुका किंवा चोखानी पादुकाओ करवी, अगर गुरुनी प्रतिकृति (छबी) होय तो ते स्थापवी. स्नात्र भणाववानी आवश्यकता नथी. जलपूजानो कलश जलपूजा भणावीने आगल भागमां स्थापन करवो, पाषाण धातु विगेरेनी गुरुमूर्ति होय तो तेनी उपर जलनो अभिषेक करवा. तेमज चंदन पूना विगेरे जिन प्रतिमानी माफक करवी. पाषाणनां पगला होय तो ते उपर जलाषिक तथा चन्दन, पुष्प विगरे प्रतिमानी पेठे चढाववां, धूप, दीप तेमनी आगल स्थापन करवां, पगलां अथवा मूर्तिनी आगल स्वस्तिक नैवेद्य फलने ढांकवा, केशर चंदननी पादुकाओ करी होय तो तेमनी आगल जल कलशादिक स्थापन करवां. जिन मंदिरमा गोखलानी अंदर गुरुमूर्ति अथवा पादुकाओ होय तो श्री जिनप्रतिमानो मूळ गभारो बंध करीने गुरुपादुका किंवा गुरुमूर्तिनी आगळ गुरु पुजा भणाववी. अरिहंत भगवान् जेम परमेष्ठी छे, तेम आचार्य, उपाध्याय अने मुनि ए त्रण पंचपरमेष्ठीमा रहेला छे. तेथी तेमनी मूर्ति तथा पादुकाओ
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