SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध्यान समाधिस्वरूपा अष्ठमी फलपूजा दुहा. ध्यान समाधि योगर्नु, फल वर्णन नव थाय; अनंत भवथी भटकती, वृत्ति स्थिर थई जाय. ॥१॥ सहु साधनमा श्रेष्ठ छे, ध्यान समाधि योग: पूर्व जन्मना पुण्यथी, पण ते पामे कोक. ॥२॥ गेबी वाजां गडगडे, उपमा केम अपाय: अमृत रसना स्नानथी, स्नेहे शांत थवाय. ॥३॥ चंचलता आ चित्तनी, ध्यान वडे वश थाय; चढे खुमारी आत्मनी, जन्म मरण पण जाय. ॥४॥ संत तणा सहवासमां, योग तणो अभ्यास; गुरुए कीधो स्नेहथी, नथी अज्ञात जराय. ॥५॥ ढाल-विमलाचलथी मन मोड्युरे, म्हने गमे न बीजे क्यांय. ए राग. बुद्धिसागर सद्गुरुनोरे, जश वो चारे पास; सुखकारक सेवक जननीरे, पूरण करता सहु आश. बुद्धि० ए टेक० धरी धर्मध्यानमां प्रीति, जग प्रेमे लीधु जीती: राखी साधुनी रीतरे, कीधो उरमा उज्जास. बुद्धि. ॥१॥ जगनुं सुख जाण्यु काचुं, जाण्यु प्रभुनुं सुख साचुं; हुँ एज गुरुने याचुरे, मारो होजो चरणे वास. बुद्धि.॥२॥ को जन्म परम उपकारी, तजी दुनीयां केरी यारी; प्रभु भक्ति कीधी प्यारीरे, तोडया नरकना त्रास. बुद्धि.॥३॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008578
Book TitleGurupad Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherShamaldas Tuljaram Prantij
Publication Year
Total Pages102
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy