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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढाल बनजारा-राग. छे साधु पद सुखकारी, मनमां समजो नरनारी; ए टेक. तारामां सूरज जेवो, साधुभव समजो एवो; ज्यां प्रभुरस पूरण लेवो. छे साधु. ॥१॥ छठा गुण स्थानक जावा, वलि पूरण पावन थावा; छे अनुभव ल्हावा. छे साधु.॥२॥ जेवो अणुथी मोटो मेरु, मोटुं कंकरथी जेवू देरुं; ए, जीवन मुनिजनके. छ साधु. ॥३॥ ज्यां अनुपम सुख प्रसरे छ, विपदा जगनी विसरे छे; मुनि हरदम प्रभु उच्चरे छे. छे साधु. ॥४॥ सुखकारक जगमां साधु, जेणे आत्मतणुं सुख स्वाय; मन विश्वपतिमां वाध्यु, छे साधु.॥५॥ लीधी दीक्षा शिव सुखदाई, गण्यां जूठां भाइ भोजाई; स्वीकारी-भली साधुताई. छे साधु.॥६॥ बुद्धिसागर धार्यु नाम, थया पोते पूरणकाम; ब्रह्मचर्य धयु सुखधाम. छ साधु. ॥७॥ ओगणीसें सत्तावन वर्षे, मागशर सुदी सातम दिवसे; लीधी दीक्षा अतिशय हर्षे. छे श्रावक. ॥८॥ मुज मन मन्दिरमा राजो, जय जय गुरुजीनी थाजो; कीर्ति जगमां प्रसराजो. छे साधु. ॥९॥ सुखसागर गुरु शिर कीधा, जैन धर्मना ल्हावा लीधा: पछी अजित प्रभु रस पीधा. छे साधु. ॥१०॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008578
Book TitleGurupad Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherShamaldas Tuljaram Prantij
Publication Year
Total Pages102
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size4 MB
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