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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तर- हे गौतम! पंचमहाव्रतधारी मुनि को निरस और असाताकारी आहारादि देने से मनुष्य के पेट में रोग उत्पन्न होता है। (२१) प्रश्न- हे भगवन्! कोई कोई स्त्री बाल विधवा हो जाती है वह किस पाप से होती है? उत्तर- हे गौतम! अपने आप को तो सती कहलाती है पर अपने पति का पूरा पूरा अपमान करने में राई रत्ती भर भी कोर कसर नहीं रखती है। कपट तो उसके जीवन के साथ साथी होकर रहता है और पर-पुरुष के साथ व्यभिचार सेवन में वह कभी चूकती भी नहीं है वह स्त्री बाल विधवा होती है। (२२) प्रश्न- हे भगवन्! वेश्या किस पाप कर्म के फलस्वरूप होती है? उत्तर- हे गौतम! उत्तम कुल की विधवा स्त्री के दिल में विषय भोग सेवन करने की तीव्र अभिलाषा होते हुए वह अपने माता, पिता सासु, श्वसुर, पीयर, सासरे से अनिच्छा पूर्वक शील को पालन करती है वह स्त्री मर कर वेश्या होती है। फिर चाहे वह स्वर्ग में भी जावे तो उसी श्रेणी की देवीयों में ही उत्पन्न होती है। अगर वह विधवा स्त्री इच्छा पूर्वक शील पाले तो इहलोक परलोक दोनों सुधरे। (२३) प्रश्न- हे भगवन्! किसी मनुष्य की अल्प समय में ही स्त्रियां मर जाया करती हैं इसका क्या कारण है? उत्तर- हे गौतम! जिस मनुष्य ने लिये हुए त्यागी नियमों का भंग किया हो तथा चरती हुई गौ को जोरों से मारी हो उस मनुष्य की स्त्रियाँ थोडे-थोड़े समय में ही मर जाया करती है। (२४) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य काला कुवर्ण किस पाप से होता है। उत्तर- हे गौतम! जो मनुष्य कोतवाल होकर द्रव्यादि की लालसा से ७१ For Private And Personal Use Only
SR No.008568
Book TitleGautam Nam Japo Nishdish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages124
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size5 MB
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