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...... ।।१।।
स्तुति विभाग (१) श्री गौतमस्वामी चतुष्पदिस्तुति इंद्रभूति अनुपम गुणभर्या, जे गौतम गोत्रे अलंकर्या । पंचशत छात्रशुं परिवर्या, वीरचरण लही भवजल तक...
चउ अठ दस दोय जिनने स्तवे, दक्षिण पश्चिम उत्तर पूरवे । संभव आदि अष्टापद गिरिए, वलि जे गौतम वंदे ललीलली.
।।२।। त्रिपदि पामीने जेणे करी, द्वादशांगी सकल गुणे भरी। दीये दीक्षा ते लहे केवलसिरि, ते गौतमने रहुं अनुसरि.
.. ।।३।। जक्ष मातंगने सिद्धायिका, सूरिशासननी परभाविका । श्रीज्ञानविमल दीपमालिका, करो नित्य नित्य मंगल मालिका.
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