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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेजोराशिरुदात्तविंशतिभुजो यक्षाधिपः श्रीः सुराधीशाः शासनदेवताश्च ददतु श्रेयांसि भूयांसि नः.......... ।।१२।। १०. श्री जिनप्रभसूरिप्रणीतं श्रीगौतमस्तोत्रम् जम्मपवित्तियसिरि-मगहदेस अवयंसगब्बरगाम। गोयमगुत्तं सिरिइंदभूइगणहारिणं नमिमो......................... | 19 ।। वसुभूइकुलविभूसण! जिट्ठाउडुजाय! कंचणच्छाय!। पुहवीउअर-सरोरुहमराल! तं जयसु गणनाह!............. ।।२।। समचउरंसागिइमय! संघयणं वज्जरिसहनारायं । कलयं ते कावि सिरी देहे तुह सत्तकरतुंगे... .................... ।।३।। सह दसदिएहिं जण्णं मज्झिमपावाइ तुह कुणंस्स। ___ माणो विहु वोहिफलो अहेसि तुह वीरदसणओ.... ..........।।४।। वेयपयत्थे तुह जीवसंसए जिणवरेण विच्छिन्ने । निक्खंतो तं पहु! लहु पंचहिं सह खंडिअसएहिं................ ।।५।। वइसाहसुद्धइक्कारसीइ पुव्वण्हदेसकालंमि । महसेणवणे पण्णासवच्छरंतेसि पव्वइओ. ....... । ।।६।। गिहिभावे जं तुमए सम्म आराहिओ महावीरो। तेण ब्भासेण तमेव सेवसे समणभावेवि......................... ।।७।। पण्णासलिले खित्तो जिणेण तिपइक्कतिल्लविंदू ते । वित्थरिओ तह तक्खण दुवालसंगप्पणयणेण ......... ।।८।। इगवीससयक्खरसूरिमंतसवणाउ झत्ति संजाया । आमोसहि-विप्पोसहिपमुहा तुह लद्धिरिंछोली.................... ।।९।। तुह अंगं फरिसिय जं फासइ पवणो जलासयाण जलं । तं पीऊण मणुस्सा उविंति छम्मासमारुगं............... ।।१०।। १६ For Private And Personal Use Only
SR No.008568
Book TitleGautam Nam Japo Nishdish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages124
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size5 MB
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