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करने में चूर चूर रहता हो वह नपुंसक होता है ।
(२९) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य मर कर नरक में किस पाप कर्म के उदय से जाता है ?
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उत्तर- गौतम ! जुंआ खेलने से, मांस खाने से, मदीरा पीने से, वैश्या और पर - स्त्री गमन करने से, शिकार और चोरी करने से मनुष्य नरक में जाता है ।
(३०) प्रश्न- हे भगवन्! लक्ष्मीवान् किस पुण्य के फल स्वरूप होता है ? उत्तर - हे गौतम! सुपात्र ( मुनि) पात्र ( श्रावक ) अल्पपात्र ( सम्यग्दर्शी) आदि को साताकारी आहार पानी देने से तथा अनाथ, दीन अनाश्रितों को समय-समय पर उचित दान देने से मनुष्य लक्ष्मीवान् होता है।
(३१) प्रश्न- हे भगवन्! जिस मनुष्य के सत्य कहने पर भी उसके वचनों पर कोई विश्वास नहीं रखता है इसका क्या कारण है ? उत्तर - हे गौतम! जिस मनुष्य ने झूठी गवाह ( साक्षी) दी हो उस पाप के फल स्वरूप उसके वचनों को न तो कोई सत्य ही समझता है और न उसके वचनों पर कोई विश्वास ही रखता है ।
(३२) प्रश्न- हे भगवन्! इच्छित भोगोपभोग की सामग्रियां किस पुण्योदय से मिलती है ?
उत्तर- हे गौतम! जिस मनुष्यने जीव दया वगैरह परोपकार खूब ही किया हो उस मनुष्य को इच्छित भोग मिलते हैं ।
(३३) प्रश्न- हे भगवन् ! सुन्दर रूप, लावण्य, चातुर्यता आदि की प्राप्ति किस शुभकरणी से होती है ?
उत्तर- हे गौतम! जिनाज्ञा पूर्वक जिसने ब्रह्मचर्य पाला है और तपस्या की हो वह सुन्दर रूप सम्पदादि पाता है ।
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