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(५०) जाणी मनमा आणीजी; सूत्रोमां जिनप्रतिमा जाखी, आराधो भवी प्राणीजी; प्रभुनी वाणी मुक्तिनिशानी, अनंत गुणनी खाणीजी. सम्यग्दृष्टि देवो सघळा, देवीयो प्रभु गावेजी; प्रभुप्रतिमाओने वंदे, पूजे घटमां ध्यावेजी; द्रव्यने भावथी व्यवहार निश्चय, उपादान निमित्तेजी. बुद्धिसागर तीर्थ प्रतिमा, पूजो निर्मल चित्तेजी.
शाश्वताशाश्वत चैत्यवंदन करी-नमुथ्थुणंकही -अरिहंत-चेइयाणं-अन्नथ्थ कही-एक लोगस्सचंदेसुनिम्मलयरा सुधीनो काउसग्ग करी एक जणे काउसग्ग पारी मोटी शांति कहवी. बीजा काउसग्ग
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