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(४५) नेमिनाथ गुण गावतांजी, गुण प्रकटे निर्धाररे. कारण पामी कारज संपजेजी; यात्रा करो सुखकाररे. गिरनार. २ नेमि जिनेश्वर मंदिर शोजतुंजी, स्वर्ग विमान समानरे; नेमि प्रतिमा दर्शन करेजी, नासे दोषनी खाणरे. गिरनार ३ नेमि जिनेश्वर सरखो आतमाजी, नेमिना ध्यानथी थायरे; टळे उपाधि आधि यात्रथीजी, निवृत्ति सत्य प्रगटायरे. गिरनार ४ निवृत्ति माटे तीर्थनी सेवनाजी, आतम निःसंग थायरे; बुद्धिसागर आत्मनीजी, शुद्धदशा प्रगटायरे.
गिरनार. ५
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