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अष्टापद.२
अष्टापद.३
(४१) द्रव्यथी अष्टापद गिरि, भावे आतम पोत; आठ पगथियां योगनां, आरोहवां ज्योते. यम नियम आसन अने, प्राणायाम ए चार; हठना पगथियां चार डे, चार सहजनां धार. प्रत्याहारने धारणा, ध्यान सत्य समाधि; शुद्धात्म दर्शन प्राप्ति के, नासे आधि उपाधि. चौवीश तीर्थकरतणी, मूर्तियो देखे, दर्शन वंदन ध्यानथी, मोहभाव उवेखे. आठ पगथियांपर चढी, परमातम जोवे;
अष्टापद. ४
अष्टापद. ५
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