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(२१) नम्या न जे ते लव भम्या, नमो लह्या गुणवृंद; नमि प्रभुए भाखियुं, सेवा छे सुख कंद. २ आतममां प्रणमी रही ए, स्वयं नमि घट जोवे; ध्यान समाधि योगथी, आत्म शक्ति नहि खोवे. ३
नमिनाथ स्तुति. नमि जिनेश्वर सेवा भक्ति, जगनी सेवा भक्तिजी, निज आतमनी सेवा भक्ति, एक स्वरुपे शक्तिजी; नाम रूपथी भिन्न निजातम, धारी प्रभु जे ध्यावेजी, प्रारब्धे ने कर्मनो भोगी, तोपण भोगी न थावेजी. १
श्री नेमिनाथ चैत्यवंदन. बावीशमा श्री नेमिनाथ, घोर ब्रह्मव्रत धारी, शक्ति अनंती जेहनी, त्रण भुवन सुखकारी. १ इन्द्र चंद्र नागेन्द्र ने, वासुदेवो सर्वे; चक्रवर्तियो नेमिने, सेवे रही अगवे. कृष्णादिक भक्तो घणा ए, जेनी सेवा सारे; एवा परमेश्वर विभु, सेवंतां सुखभारे,
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