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श्री श्रेयांस प्रभुसमो ए, निज आतमने करवा, वंदो ध्यावो जविजना, घरो न जडनी परवा. श्री श्रेयांस स्तुति.
द्रव्य जावथी श्रेयने, निज आत्मनुं जाणो, जाणी आचारे मूकशो, पुरुषार्थने आणो; आत्मज्ञान ने सत्क्रिया, वमे श्रेयने साधो, श्रेयांस प्रभुनी पेठ सहु, पूर्ण श्रेयेज वाधो. श्री वासुपूज्य चैत्यवंदन.
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क्षायिक लब्धि श्रेयथ। वासुपूज्य जिनदेव, थया हृदयमां जाणीने करो प्रभुनी सेव चिदानंद वसुतावर्या विश्वपूज्य जिनराज, वासुपूज्य निज आतमा करशो साधी काज. प्रभुमय थै प्रभु सेवतां ए स्वयं प्रभु जिन थाय, अनंत केवलज्ञाननी ज्योति ज्योत सुहाय.
श्री वासुपूज्य स्तुति.
तम वासुपूज्य ने करो आविजये, निश्चय नय दृष्टि बळे ब्रह्म जावना दावे;
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