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देववंदन स्तवन स्तुति संग्रह.
चतुर्मासी देववंदन विधि. स्थापनाचार्यादि आगळ इरियावहियादि करी, काउसग्ग करी उपर लोगस्स कहीने प्रथम मंगलनिमित्त चैत्यवंदन कहे. पछी नमुथ्थुणं पछी जय वीअराय आभवमखंडा सुधी कही खमासमण देइ ऋषभदेवर्नु चैत्यवंदन कहेवू पछी नमुथ्थुणं कही चारे थोये देव वांदवा. पछी नमुथ्थुणं कही जयबीअराय अर्धा कही खमासमण देह अजितादि देवनां चैत्यवंदनो तथा थोयो कहेवी. श्री शांतिनाथन चैत्यवंदन करी चारे थोये देव वांदी स्तवन कहे. बाकीना तीर्थकरने अक चैत्यवंदन अने एक स्तुतिथी वांदवा. श्री नेमिनाथ श्री, पार्श्व नाथ अने श्री महावीर प्रभुने चार थोयो स्तवनयी वांदवा. महावीरप्रभुनुं स्तवन कही पछी जयवीजराय आखा कहेवा पछी श्री शवत्ता अदाबता
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